- कुरान क्या है;(what is quran)
- कुरान किसने लिखी थी;(who wrote the quran)
- कुरान कैसे तिलावते जाती है;(how to read quran)
- कुरान का महत्व क्या है;(What is the importance of Quran)
- कुरान से क्या समझ मिलती है;(What is understood from the Quran)
#आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक कुरान के बारे में जानेंगे#
कुरान इस्लाम धर्म की एक पवित्र पुस्तक है इस्लाम धर्म के लोगो का ये मानना है की अल्लाह की भेजी गई सबसे पहली पुस्तक कुरान है! जिसे अल्लाह के फरिश्ते आला ने इसे हज़रत मुहम्मद को सुनाया था! और मुहम्मद ने कुरान की तिलावत कर इसे पुस्तक के रूप में लिखा!
और इस्लाम धर्म के लोग ये भी मानते है की अल्लाह के द्वारा उतारी गई और देवदुत जिब्राएल द्वारा हज़रत मुहम्मद को हज़रत मुहम्मद को सुनाया गया!
कुरान में कुल 114 सुरह, 540 रूकू, 6,666 आयते, 86,423 शब्द, 32, 376अक्षर, और 24 नबियों के बारे में जिक्र किया है
रमजान के महीने में बहुत से मुसलमान अक्सर रोज़ा रखते है और अल्लाह को नमाज अदा करते है कुरान –ए–शरीफ को आसानी से समझने और उसके रसूलों से वाकिफ होने के लिए! मोलबियों ने अपने–अपने अलग–अलग तरीके से हदीश की विवेचना की है;
#2; कुरान किसने लिखी थी;(who wrote the Quran)
क़ुरान किसी व्यक्ति द्वारा लिखित पुस्तक नहीं है और न ही यह मुहम्मद साहब या किसी अन्य पैग़मबर के स्वयं के विचार हैं । क़ुरान ईश्वर के द्वारा हज़रत जिब्रील नामक देवदूत के माध्यम से मुहम्मद साहब के ह्रदय पर अवतरित ॠचाओं का संग्रह है। इसीलिए क़ुरान को ईश्वर के शब्द या ईश्वरीय आदेश कहा जाता है। ईश्वरीय ऋचाओं को लिपिबद्ध करने का उद्देश्य केवल इतना है कि इन ऋचाओं को न केवल संरक्षित रखा जा सके बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तान्तरित भी किया जा सके। क्योंकि क़ुरानी ऋचाएँ ईश्वरीय शब्द हैं इसलिए इस्लामी मान्यता के अनुसार यह किसी भी प्रकार के संदेह से परे हैं तथा इनका प्रत्येक शब्द सत्य है। इन ऋचाओं पर संदेह करने वाला व्यक्ति स्वतः ही इस्लाम धर्म से निष्कासित हो जाता है
जो मुस्लिम अर्थात समर्पित (= एकेश्वर को समर्पित) है उसके लिए क़ुरआन ईश्वरोक्ती (एकेश्वर का कथन) है; और इसलिए ये परमसत्य है।
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#3;कुरान कैसे तिलावते जाती है;(how to read quran)
जिस प्रकार हिन्दू धर्म में भागवत गीता है उसी प्रकार इस्लाम धर्म में कुरान है। इस पोस्ट में दिखाए गये चित्र में “कुरान के पारे” है, जो अरबी भाषा में लिखे गये है। आपको कुरान शरीफ की तिलावत का हिंदी अर्थ” इस पोस्ट के माध्यम से बताया गया है। कुरान शरीफ की सूरते हिंदी में और कुरान शरीफ की आयतें। विस्तार में पढ़े।
हिंदी अर्थ : मै शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो निहायत मेहरबान, बेहद रहम करने वाला है। ➊ सब तारीफे अल्लाह के लिए है जो सारे जहां का पालने वाला है। ➋ निहायत मेहरबान बेहद रहम करने वाला है। ➌ कियामत के दिन मालिक है। ➍ हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझे ही से मदद मांगते हैं। ➎ हमें सीधी राह पर चला, ➏ उन लोगो की रह पर जिन पर तू ने इनाम किए, उनकी राह नहीं जिन पर तेरा गजब नाजिल हुआ, और उनकी जो गुमराह हो गए।
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| कुरान की आयते। |
हिंदी अर्थ : मै शुरू करता हूं मेरे अल्लाह के नाम से जो हमेशा मेहरबान, अधिक रहम करने वाला है। अलिफ लाम मीम ➊ इस किताब में कोई शक व शुबह नहीं, अल्लाह से डरने वालों की रहनुमाई करती है। ➋ जो गैबी उमुर पर ईमान लाते हैं, और नमाज काईम करते हैं और हमने इनको जो रोजी दी है उसमें से खर्च करते हैं। ➌ और जो ईमान लाते हैं इस किताब पर जो आप पर उतारी गई और उन किताबों पर जो आप पर उतारी गई, और उन किताबों पर जो आपसे पहले उतारी गई जो आखिरत पर यकीन रखते हैं। ➍ यही लोग अपने रब की सीधी राह पर है और यही लोग कामयाब होने वाले हैं।
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| कुरान की सुरते। |
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| तिलावत। |
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| तिलावत। |
हिंदी अर्थ : ㉓ अगर तुम ऐसा ना कर सको, और तुम हरगिज़ ऐसा ना कर सकोगे, तो डरो उस आग से जिसका इंदन आदमी और पत्थर होंगे, जो तैयार की गई है काफी रो के लिए। ㉔ और खुशखबरी दे दीजिए उन लोगों को जो ईमान लाए और अर्पण किया कि उनके लिए ऐसे जन्नते है जिनके नीचे नहरे जा रही होगी। ㉕ जब जब उन बागात में से कोई फल खाने को दिया जाएगा, तो वह कहेंगे कि यह तो वही फल है जो हमें इसके कल्ब खाने को दिया गया था, और उनको ऐसे ही रोजी दी जाएगी जो एक दूसरे से मुत्शाबह होगी, और उनके लिए उनकी पाकीजा बीवियां होंगी और वह लोग जन्नत में हमेशा के लिए रहेंगे।
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#4; कुरान का महत्व क्या है;(What is the importance of Quran)
"क़ुरआन" शब्द का पहला ज़िक्र ख़ुद क़ुरआन में ही मिलता है जहाँ इसका अर्थ है - उसने पढ़ा, या उसने उचारा। यह शब्द इसके सिरियाई समानांतर कुरियना का अर्थ लेता है जिसका अर्थ होता है ग्रंथों को पढ़ना। हँलांकि पाश्चात्य जानकार इसको सीरियाई शब्द से जोड़ते हैं, अधिकांश मुसलमानों का मानना है कि इसका मूल क़ुरा शब्द ही है। पर चाहे जो हज़रत मुहम्मद के जन्मदिन के समय ही यह एक अरबी शब्द बन गया था।
ख़ुद क़ुरआन में इस शब्द का कोई 70 बार ज़िक्र हुआ है। इसके अलावे भी क़ुरआन के कई नाम हैं। इसे अल फ़ुरक़ान (कसौटी), अल हिक्मः (बुद्धिमता), धिक्र/ज़िक्र (याद) और मशहफ़ (लिखा हुआ) जैसे नामों से भी संबोधित किया गया है। क़ुरआन में अल्लाह ने 25 अम्बिया का ज़िक्र किया है।
कुरान शब्द कुरान में लगभग 70 बार प्रकट होता है, जो विभिन्न अर्थों को मानता है। यह अरबी क्रिया क़रा (قرأ) का एक मौखिक संज्ञा (मसदर) है, जिसका अर्थ है "वह पढ़ता है"। सिरिएक समतुल्य (ܩܪܝܢܐ) क़रयाना है, जो "शास्त्र पढ़ने" या "सबक" को संदर्भित करता है। जबकि कुछ पश्चिमी विद्वान इस शब्द को सिरिएक से प्राप्त करने पर विचार करते हैं, मुस्लिम अधिकारियों के बहुमत में शब्द की उत्पत्ति क़रा ही होती है। भले ही, यह मुहम्मद के जीवनकाल में अरबी शब्द बन गया था। शब्द का एक महत्वपूर्ण अर्थ "पाठ का कार्य" है, जैसा कि प्रारंभिक कुरआनी मार्ग में दर्शाया गया है: "यह हमारे लिए इसे इकट्ठा करना और इसे पढ़ना है (क़ुरआनहू)।
अन्य छंदों में, शब्द "एक व्यक्तिगत मार्ग [मुहम्मद द्वारा सुनाई गई]" को संदर्भित करता है। इसका कई संदर्भ में कई प्रकार से अदब किया जाता है। उदाहरण के तौर पर: "जब अल-कुरान पढ़ा जाता है, तो इसे सुनें और चुप रहें।" अन्य धर्मों के ग्रन्थ जैसे तोराह और सुसमाचार के साथ वर्णित अर्थ भी ग्रहण कर सकता है।
इस शब्द में समानार्थी समानार्थी शब्द भी हैं जो पूरे कुरान में नियोजित हैं। प्रत्येक समानार्थी का अपना अलग अर्थ होता है, लेकिन इसका उपयोग कुछ संदर्भों में कुरान के साथ मिल सकता है। इस तरह के शब्दों में किताब (पुस्तक), आयह (इशारा); और सूरा (ग्रान्धिक रूप) शामिल हैं। बाद के दो शब्द भी प्रकाशन की इकाइयों को दर्शाते हैं। संदर्भों के बड़े बहुमत में, आमतौर पर एक निश्चित लेख (अल-) के साथ, शब्द को "प्रकाशन" (वही) के रूप में जाना जाता है, जिसे अंतराल पर "भेजा गया" (तंज़ील) दिया गया है। अन्य संबंधित शब्द हैं: धिक्कार (स्मरण), कुरान को एक अनुस्मारक और चेतावनी के अर्थ में संदर्भित करता है, और हिकमह (ज्ञान), कभी-कभी प्रकाशन या इसके हिस्से का जिक्र करता है।
कुरान खुद को "समझदारी" (अल-फ़ुरकान),"गाइड" (हुदा), "ज्ञान" (हिकमा), "याद" (ज़िक्र) के रूप में वर्णित करता है। और "रहस्योद्घाटन" (तंज़ील ; कुछ भेजा गया है, एक वस्तु के वंश को एक उच्च स्थान से कम जगह पर संकेत)। एक और शब्द अल-किताब (पुस्तक) है, जैसे तोराह और बाइबल के लिए अरबी भाषा में भी प्रयोग किया जाता है। मुसहफ़ ('लिखित कार्य') शब्द का प्रयोग अक्सर विशेष कुरानिक लिपियों के संदर्भ में किया जाता है लेकिन कुरान में भी पहले की किताबों की पहचान करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
#5; कुरान से क्या समझ मिलती है;(What is understood from the Quran)
कुरान ग्रंथ अरबी भाषा में लिखा हुआ है जिसके कारण अक्सर लोगो को "कुरान शरीफ की तिलावत, कुरान शरीफ की आयते और कुरान शरीफ की सूरते" का हिंदी अर्थ से अंजान है. आपकी जानकारी के लिए बता दे
कुरान में बताये गये अरबी भाषा का hindi अर्थ
सूरत का मतलब (एक लाइन में लिखा गया) वाक्य होता है।
आयतें का मतलब (एक अनुच्छेद) होता है।
तिलावत का अर्थ( पढना) होता है।
ईमान का मतलब (भरोसा)कहलाता है।
कुरान ग्रन्थ यह मुस्लिम और अन्य लोगो पढ़ सकते है. परंतु इसके लिए अरबी भाषा की जानकारी होना जरुरी है. इस "कुरान–ए–शरीफ" की किताब से इंसान तथा मानवता की भलाई की सिख मिलती है जिसे पढकर जीवन को सही ढंग से जिने का मार्ग मिलता है।
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