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शुक्रवार, 25 जून 2021

रुद्राक्ष क्या है; What is rudraksha

रुद्राक्ष क्या है ;what is rudraksha
  1. रूद्राक्ष क्या है; (what is rudraksha)
  2. रूद्राक्ष शब्द की उत्पति; (Origin ofthe Rudraksha, 
  3. रूद्राक्ष का आकार ;(shape of rudraksha)
  4. रूद्राक्ष का महत्व;(importance of rudraksha)
  5. रूद्राक्ष पहनने के फायदे;(Benefits of wearing Rudraksha)

#1; रुद्राक्ष क्या है;(what is rudraksha)

रुद्राक्ष का अर्थ है रूद्र का अक्ष माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है. 

रूद्राक्ष;रूद्राक्ष पेड़ के फल कि गुठली से प्राप्त होता है जिसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है एसा माना जाता है की रुद्राक्ष की उत्पति भगवान शिव शंकर की आंखों के जल बिंदु से हुई है रुद्राक्ष को धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है एसा मानना है की रुद्राक्ष भगवान शिव का वरदान है जो संसार के भौतिक दुखों को दूर करने के लिए भगवान शंकर ने प्रकट किया!

रुद्राक्ष का पेड़।                
             

रुद्राक्ष एक प्रकार का बीज है (Rudraksha is a type of seed) यह परंपरागत रूप से हिंदू धर्म में प्राार्थना के समय माला के रूप में प्रयोग में लाया जाता है   
 रुद्राक्ष(हिंदू धर्म के देवता)भगवान शिव से जुड़ा हुआ है और और जादतर यह रुद्राक्ष माला के रूप में भगवान शिव का जाप(ॐ नमः शिवाय) करते समय उपयोग में लाई जाती है
ये बीज मुख्य रूप से भारत और नेपाल में आभूषणों और मालाओं के रूप उपयोग किया जाता है 

#2; रुद्राक्ष शब्द की उत्पत्ति;(origin of the rudraksha)
रुद्राक्ष शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द रुद्र(भगवान रुद्र या भगवान शिव) और अक्सा(अंशु की बूंदे) से हुई!
रुद्राक्ष भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है भगवान शिव के अनेकों  नाम है हर जगह भगवान शिव के अलग² नामों से जाना जाता है 
रुद्राक्ष कई प्रकार के होते है 
1- एक मुखी  यह साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है.
    सिंह राशी वालों के लिए यह अत्यंत शुभ होता है.
    जिनकी कुंडली में सूर्य से सम्बंधित समस्या हो ऐसे लोगों          को एक मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए.

2- दो मुखी- यह अर्धनारीश्वर स्वरुप माना जाता है.
    कर्क राशी के जातकों को यह अत्यंत उत्तम परिणाम देता है      अगर वैवाहिक जीवन में समस्या हो या चन्द्रमा कमजोर दो      मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी होता है

3- तीन मुखी- यह रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरुप होता है.
    मेष राशी और वृश्चिक राशी के लोगों के लिए यह उत्तम            परिणाम देता है.मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष      का प्रयोग किया जाता है.

4- चार मुखी- यह रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरुप माना जाता है मिथुन और कन्या राशी के लिए सर्वोत्तम. त्वचा के रोगों और वाणी     की समस्या में इसका विशेष लाभ होता है.

5- पांच मुखी- इसको कालाग्नि भी कहा जाता है,इसको धारण      करने से मंत्र शक्ति तथा अदभुत ज्ञान प्राप्त होता है.जिनकी      राशी धनु या मीन हो या जिनको शिक्षा में लगातार बाधाएँ        आ रही हों ,ऐसे लोगों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना          चाहिए.


#3;रूद्राक्ष का आकार;(shape of rudraksha)
रुद्राक्ष का आकार हमेशा मिलीमीटर में मापा जाता है रुद्राक्ष रुद्राक्ष एक मटर के बीज से बड़े और अखरोट के आकार तक होते है रुद्राक्ष के ऊपरी सतह पर ॐ और भगवान शिव के त्रिशूल के निशान होते है 

त्रिशूल

#4; रुद्राक्ष का महत्व;(importance of rudraksha)
भारत और नेपाल में रुद्राक्ष में माला पहनने की बहुत पुरानी परंपरा है! और विशेष रुप से वो लोग रुद्राक्ष पहनते है जो लोग भगवान शिव की पूजा करते है! क्योंकि भगवान शिव खुद रुद्राक्षो से बनी माला पहनते थे! इसी लिए रुद्राक्ष को भगवान शिव का वरदान  मानते है और इस रुद्राक्ष माला को पहन कर भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप किया जाता है और महिलाओं को रुद्राक्ष पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन महिलाओं के लिए मोती से बने आभूषणों को पहनना आम बात है रुद्राक्ष से बनी माला को केवल स्नान करते समय उतार देना चाहिए! क्योंकि स्नान करते समय रुद्राक्ष पानी में भीगने के कारण रुद्राक्ष बीज के हाईट्रेड कर सकता है! 


#5;रुद्रराक्ष के पहनने के फायदे;(Benefits of wearing Rudraksha)

रुद्राक्ष की माला धारण करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह पहनने वाले के चारों ओर एक विशेष प्रकार का सुरक्षा चक्र बना देती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक शोध के बाद पाया कि रुद्राक्ष की माला पहनने से व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का एक आभामंडल बन जाता है, जिससे व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे उसके शरीर मे कुछ ऐसे रसायनों का उत्सर्जन होता है जिससे उसमें सुरक्षा की भावना पैदा होती है। 


अधिकांश लोग यह मानते हैं कि भगवान शिव का संबंध दूर-दूर तक लक्ष्मी से नहीं है। शिव वैराग्य के देवता हैं, लेकिन यह बात पूरी तरह सही नहीं है। रुद्राक्ष की माला के जरिए भगवान शिव से लक्ष्मी की प्राप्ति की जा सकती है। 108 रुद्राक्ष की माला को यदि स्वर्ण की कैप में जड़वाकर पहना जाए और साथ में प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया जाए तो अचूक लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

भूत-प्रेत, बुरी शक्तियां, जादू-टोना, तंत्र क्रियाओं से बचाने में रूद्राक्ष के समान कोई अन्य वस्तु नहीं। आपके अधिकांश तांत्रिकों के हाथ या गले में रूद्राक्ष अवश्य देखा होता। दरअसल वे जो साधना, सिद्धियां करते हैं, उनमें उन्हें जान का खतरा भी होता है। रूद्राक्ष धारण कर लेने से बुरी शक्तियां उन्हें हानि नहीं पहुंचा पाती। यदि आपका भी कोई ऐसा काम हो जिसमें आपको रात-बेरात यहां वहां आना-जाना हो तो रूद्राक्ष जरूर धारण करें।

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2 टिप्‍पणियां:

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