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रविवार, 20 अप्रैल 2025

स्टॉक मार्केट क्या है (What is stock market)

शेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ कंपनियों के शेयर खरीदे-बेचे जा सकते हैं। किसी भी दूसरे बाज़ार की तरह शेयर बाज़ार में भी खरीदने और बेचने वाले एक-दूसरे से मिलते हैं और मोल-भाव कर के सौदे पक्के करते हैं। पहले शेयरों की खरीद-बिक्री मौखिक बोलियों से होती थी और खरीदने-बेचने वाले मुंहजबानी ही सौदे किया करते थे। लेकिन अब यह सारा लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों के जरिये होता है। इंटरनेट पर भी यह सुविधा मिलती है। आज स्थिति है कि खरीदने-बेचने वाले एक-दूसरे को जान भी नहीं पाते।

शेयर बाजार डिमांड और सप्लाई के सिद्धांत पर काम करता है। निवेशक शेयर खरीदते या बेचते हैं, और उनकी कीमतें बाजार की स्थिति और कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर बदलती रहती हैं। निवेश करने के लिए डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खोलना होता है। इसके बाद, आप किसी ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म या स्टॉकब्रोकर की मदद से शेयर खरीद सकते हैं।एक प्रकार से देखे तो यहाँ पर शेयरों की नीलामी होती है। अगर किसी को बेंचना होता है तो सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को ये शेयर बेंच दिया जाता है। या अगर कोई शेयर खरीदना चाह्ता है तो बेचने वालो मे से जो सबसे कम कीमत पे तैयार होता है उससे शेयर खरीद लिया जता है। शेयर मन्डी (जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नैशनल स्टॉक एक्सचेंज इस तरह कि बोलियाँ लगाने के लिये ज़रूरी सभी तरह कि सुविधाये मुहैया कराते है। सोचिये, एक दिन मे करोड़ो शेयरों का आदान-प्रदान होता है। कित्ना मुश्किल हो जाये अगर सभी कारोबरियोँ को चिल्ला चिल्ला के ही खरीदे और बेंचने वालो को ढूंढ्ना हो। अगर ऐसा हो तो शेयर खरीदना और बेंचना कमोबेश असम्भव हो जायेगा। शेयर मन्डियाँ इस काम को सरल और सही ढंग से करने का मूलभूत ढांचा प्रदान करती है। कई प्रकार के नियम, कम्प्यूटर की मदत, शेयर ब्रोकर, इंटेर्नेट के मध्यम से ये मूलभूत ढांचा दिया जाता है। असल मे शेयर बाज़ार एक बहुत ही सुविधाजनक सब्ज़ी मंडी से ज़्यादा कुछ भी नही है।कुछ साल पहले तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज मे सीधे खरीद फरोख्त करनी पड़ती थी। पिछ्ले कुछ सालो से कम्प्यूटरो और इंटरनेट के माध्यम से कोई भी घर बैठे शेयर्स को ऑनलाइन खरीद और बेंच सकता है। सूचना क्रांति का ये एक उत्कृष्ट नमूना है। जो काम पहले कुछ पैसे वाले लोग ही कर सकते थे अब वो सब एक आम आदमी भी कर सकता है।

शेयर बाज़ार को दो वर्गों में बांटा जाता है, पहला प्राइमरी मार्केट और दूसरा सेकेंडरी मार्केट;

प्राइमरी मार्केट में कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार सूचीबद्ध होती है और अपने शेयर जारी करती हैं। कंपनियां आईपीओ (इनिशियल पब्लिक आफरिंग) के जरिए अपने शेयर पहली बार शेयर बाज़ार में इशू करती हैं और बाजार से पूंजी जुटाने का प्रयास करती है।

सेकेंडरी मार्केट को एक्सचेंज ट्रेडेड मार्केट भी कहते हैं। यह एक रेगुलर मार्केट है, जहां पर कंपनियों के शेयर्स की ट्रेडिंग रेगुलर बेसिस पर होती है। निवेशक शेयर ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज में अपने ट्रेडिंग ऑर्डर्स को पूरा करते हैं।आजकल सभी शेयर डीमटीरिअलाइज़्ड होते है। शेयरो के अलावा निवेशक भारतीय म्यूचुअल फंड मे भी पैसा लगा सकते हैं।

आम ग्राहक को किसी डीमैट सर्विस देने वाले बैंक मे अपना खाता खोलना पडता है। आजकल कई बैंक जैसे आइसीआइसीआइ, एच डी एफ सी, भारतीय स्टटे बैंक, एक्सिस बैंक, इत्यादि डीमैट सर्विस देते है। इस तरह के खाते की सालाना फीस 500-800 रु तक होती है।


न्यूयॉर्क का शेयर बाजार (स्टॉक एक्सचेंज)
शेयर बाज़ार किसी भी विकसित देश की अर्थ्व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते है। जिस तरह से किसी देश, गाँव या शहर के विकास के लिये सडके, रेल यातायात, बिजली, पानी सबसे ज़रूरी होते है, वैसे ही देश के उद्योगों के विकास के लिये शेयर बाज़ार ज़रूरी है। उद्योग धंधो को चलाने के लिये कैपिटल चहिये होता है। ये उन्हे शेयर बाज़ार से मिलता है। शेयर बाज़ार के माध्यम से हर आम आदमी बडे़ से बडे़ उद्योग मे अपनी भागिदारी प्रदान कर सकता है। इस तरह की भागीदारी से वो बड़े उद्योगों मे होने वाले मुनाफे मे बराबर का हिस्सेदार बन सकता है। मान लीजिये, अगर किसी भी नागरिक को ये लगता है कि आने वाले समय मे रिलायंस या इंफोसिस भारी मुनाफा कमाने वाली है, तो वह इस कम्पनियों के शेयर खरीद के इस मुनाफे में भागीदार बन सकता है,और ऐसा करने के लिये तो व्यवस्था चहिए वो शेयर बाज़ार प्रदान करता है। एक अछा शेयर बाज़ार इस बात का ध्यान रखता है,कि किसी भी निवेशक को बराबर का मौका मिले।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज व नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के अलावा देशभरर मे 27 क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज है।

गुरुवार, 1 जुलाई 2021

मिल्खा सिंह कौन थे;(Who was Milkha Singh)

आइए जानते हैं आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल जीतने वाले मिल्खा सिंह के बारे में;

मिल्खा सिंह (फ्लाइंग सिख)।                                 

















#मिल्खा सिंह कौन थे;(who was milkha singh)
स्वतंत्र भारत के पहले व्यक्तिगत खेलों स्टार मिल्खा सिंह ने अपनी गति और खेल के लिए जुनून की भावना के साथ एक दशक से अधिक समय तक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में राज किया, कई रिकॉर्ड बनाएं और अपने करियर में कई पदक जीते। मेलबर्न में 1956 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया, रोम में 1960 के ओलंपिक और टोक्यो में 1964 के ओलंपिक में मिल्खा सिंह अपने शानदार प्रदर्शन के साथ दशकों तक भारत के सबसे महान ओलंपियन बने रहे। 20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं) में एक सिख परिवार में जन्मे मिल्खा सिंह को खेल से बहुत लगाव था, वह विभाजन के बाद भारत भाग आ गए और भारतीय सेना में शामिल हो गए थे। सेना में रहते हुए ही उन्होंने अपने कौशल को और निखारा। एक क्रॉस-कंट्री दौड़ में 400 से अधिक सैनिकों के साथ दौड़ने के बाद छठे स्थान पर आने वाले मिल्खा सिंह को आगे की ट्रेनिंग के लिए चुना गया। जिसने प्रभावशाली करियर की नींव रखी।1956 में मेलबर्न आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में उन्होंने पहली बार प्रयास किया। भले ही उनका अनुभव अच्छा न रहा हो लेकिन ये टूर उनके लिए आगे चलकर फलदायक साबित हुआ। 200 मीटर और 400 मीटर की स्पर्धाओं में भाग लेने वाले अनुभवहीन मिल्खा सिंह गर्मी के स्टेज से बाहर नहीं निकल सके, लेकिन चैंपियन चार्ल्स जेनकिंस के साथ एक मुलाकात ने उन्हें अपने भविष्य के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा और ज्ञान दे दिया।
मिल्खा सिंह ने जल्द ही अपने ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया और 1958 में उन्होंने जबरदस्त एथलेटिक्स कौशल प्रदर्शित किया, जब उन्होंने कटक में 

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नेशनल गेम्स ऑफ इंडिया में अपने 200 मीटर और 400 मीटर स्पर्धा में रिकॉर्ड बनाए। मिल्खा सिंह ने राष्ट्रीय खेलों के अलावा, टोक्यो में आयोजित 1958 एशियाई खेलों में 200 मीटर और 400मीटर की स्पर्धाओं में और 1958 के ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मी (440 गज की दूरी पर) में स्वर्ण पदक जीते। उनकी अभूतपूर्व सफलता ही थी जिसकी वजह से उन्हें उसी वर्ष पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
यादें यूं ही नहीं फ्लाइंग सिख कहलाते थे मिल्खा सिंह 
मिल्खा सिंह ने आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल जीता था।











मिल्खा सिंह पर बनी फिल्म 'भाग मिल्खा भाग'
महान धावक मिल्खा सिंह के ऊपर 2013 में बॉलीवुड फिल्म आई, 'भाग मिल्खा भाग'। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी और काफी सराही गई थी। फिल्म में मिल्खा सिंह के अनाथ होने से लेकर महानतम एथलीट बनने तक की पूरी कहानी दिखाई गई है। बॉलीवुड अभिनेता फरहान अख्तर ने इस फिल्म में 'द फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म के आने के बाद मिल्खा सिंह से देश का युवा दर्शक बहुत अधिक प्रभावित हुआ।

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मिल्खा सिंह के खेल के रिकॉर्ड; (Milkha Singh's Sports Records)


  • इन्होंने 1958 के एशियाई खेलों में 200 मीटर व 400 मी में स्वर्ण पदक जीते
  • इन्होंने 1918 के राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
  • वर्ष 1958 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1958 के एशियाई खेलों की 200 मीटर रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1959 में – पद्मश्री पुरस्कार
  • वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 400 मीटर दौड़ में – प्रथम
  • वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 4*400 रिले रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1964 के कलकत्ता राष्ट्रीय खेलों की 400 मीटर रेस में – द्वितीय

#मिल्खा सिंह फ्लाइंग सिख की मृत्यु

मिल्खा सिंह (फ्लाइंग सिख) ने 18 जून, 2021 को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर( PGIMER) अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे कोविड-19 से ग्रस्त थे। चार-पाँच दिन पूर्व उनकी पत्नी का देहान्त भी कोविड से ही हुआ था। उनके पुत्र जीव मिलखा सिंह गोल्फ़ के खिलाड़ी हैं।

#मिल्खा सिंह को सत सत नमन #

#इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए धन्यवाद#


मंगलवार, 29 जून 2021

सामान्य दवाएं या जेनेरिक दवाएं क्या होती है(what is generic medicines)

दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे की सामान्य दवाएं या जेनेरिक दवाएं क्या होती है 

Generic medicines।                                         
अधिकांश बड़े शहरों में जेनेरिक मेडिकल स्टोर होते हैं जहाँ केवल जेनेरिक दवाएँ ही मिलतीं हैं। किन्तु इनका व्यापक प्रचार नहीं होने से लोगों को इनका लाभ नहीं मिलता किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर जो दवा लिखता है, ठीक उसी दवा के सॉल्ट वाली जेनेरिक दवाएं उससे काफी कम कीमत पर आपको मिल सकती हैं। कीमत का यह अंतर पांच से दस गुना तक हो सकता है। बात सिर्फ आपके जागरूक होने की है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश में लगभग सभी नामी दवा कम्पनियां ब्रांडेड के साथ-साथ कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएं भी बनाती हैं लेकिन ज्यादा लाभ के चक्कर में डॉक्टर और कंपनियां लोगों को इस बारे में कुछ बताते नहीं हैं और जानकारी के अभाव में गरीब भी केमिस्ट से महंगी दवाएं खरीदने को विवश हैं समान्य या जेनरिक वह दवा है जो बिना किसी पेटेंट के बनायीऔर वितरित की जाती है। जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंटहो सकता है किन्तु उसके सक्रिय घटक पर पेटेंट नहीं होता। जैनरिक दवाईयां गुणवत्ता में किसी भी प्रकार के ब्राण्डेड दवाईयों से कम नहीं होतीं तथा ये उतनी ही असरकारक है, जितनी की ब्राण्डेड दवाईयाँ। यहाँ तक कि उनकी मात्रा (डोज), साइड-इफेक्ट, सक्रिय तत्व आदि सभी ब्रांडेड दवाओं के जैसे ही होते हैं। जैनरिक दवाईयों को बाजार में उतारने का लाईसेंस मिलने से पहले गुणवत्ता मानकों की सभी सख्त प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।

#कुरान क्या है जानें.click here

देश के ज्यादातर बड़े शहरों में एक्सक्लुसिव जेनेरिक मेडिकल स्टोर होते हैं, लेकिन इनका व्यापक प्रचार नहीं होने से लोगों को इनका फायदा नहीं मिलता आजकल हर प्रकार की जानकारी इंटरनेट के जरिये आसानी से हासिल की जा सकती है। ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं की कीमत में अंतर का पता लगाने के लिए एक मोबाइल एप 'समाधान और हैल्थकार्ट भी बाजार में उपलब्ध है। दरकार है कि आज लोग जेनेरिक दवाओं के बारे में जानें और खासतौर पर गरीबों को इस ओर जागरूक करें ताकि वे दवा कंपनियों के मकडज़ाल में न फंसें।

#जेनरिक दवाये जादा क्यों नहीं बिक पाती है (Why are generic medicines not sold much)

जेनेरिक दवाएं बिना किसी पेटेंट के बनाई और सरकुलेट की जाती हैं.जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है लेकिन उसके मैटिरियल पर पेटेंट नहीं किया जा सकता. इंटरनेशनल स्टैंडर्ड से बनी जेनेरिक दवाइयों की क्वालिटी ब्रांडेड दवाओं से कम नहीं होती. ना ही इनका असर कुछ कम होता है. जेनेरिक दवाओं की डोज, उनके साइड-इफेक्ट्स सभी कुछ ब्रांडेड दवाओं जैसे ही होते हैं. जैसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए वियाग्रा बहुत पॉपुलर है लेकिन इसकी जेनेरिक दवा सिल्डेनाफिल नाम से मौजूद है. लेकिन लोग वियाग्रा लेना ही पसंद करते हैं क्योंकि ये बहुत पॉपुलर ब्रांड हो चुका है. इसकी खूब पब्लिसिटी इंटरनेशनल लेवल पर की गई है. वहीं जेनेरिक दवाइयों के प्रचार के लिए कंपनियां पब्लिसिटी नहीं करती. जेनेरिक दवाएं बाजार में आने से पहले हर तरह के डिफिकल्ट क्वालिटी स्टैंर्ड से गुजरती हैं


#क्यों सस्ती होती हैं जेनेरिक दवाएं जहां पेंटेट ब्रांडेड दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं वहीं जेनेरिक दवाओं की कीमत को निर्धारित करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप होता है. जेनेरिक दवाओं की मनमानी कीमत निर्धारित नहीं की जा सकती. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, डॉक्टर्स अगर मरीजों को जेनेरिक दवाएं प्रिस्क्राइब करें तो विकसित देशों में स्वास्थय खर्च 70 पर्सेंट और विकासशील देशों में और भी अधिक कम हो सकता है.

#रुद्राक्ष क्या है जानें. click here

#जेनेरिक दवाओं के लाभ- जेनरिक दवा दवा ब्रांडेड दवाओं से सस्ती होती हैं. इससे आप हर माह अच्छी खासी कीमत बचा सकते हैं.इन दवाओं की पब्लिसिटी के लिए कुछ खर्चा नहीं किया जाता. इसलिए ये सस्ती होती हैं.जेनेरिक दवाएं सीधे खरीददार तक पहुंचती हैं.सरकार इन दवाओं की कीमत खुद तय करती है.जेनेरिक दवाओं का असर, डोज और इफेक्ट्स ब्रांडेड दवाओं की तरह ही होते हैं.

#जेनरिक दवाओ की पहचान कैसे करेंनए नियमों के मुताबिक अब दवा कंपनियों को लेबल पर दवा का जेनेरिक नाम बड़े अक्षरों में लिखना होगा, जबकि ब्रांड नाम छोटे अक्षरों में लिखना होगा। सूत्रों का कहना है कि इस बारे में सरकार ने ड्राफ्ट रूल तैयार कर लिया है जो जल्द जारी किया जाएगा।

#प्रमुख जेनेरिक साल्ट के नाम (names of major generic salts)


सीटीजेड,

पाईरेस्टेट-100,

मेरिसुलाइड,

ओमेसेक-20,

ओमिप्राजोल,

लिगनोकेन,

बूपीवेक्सीन,

एसीटिल सालिसाइकिल एसिड डिक्लोफेनेक,

इबूप्रोफेन,

परासीटामोल,

क्लोरोक्वीन,

एमलोडिपिन,

एटीनोलेल,

लोजारटन,

मेटफोरमिन,

प्रोगेस्टीरोन


#आशा करते है की आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी अधिक जानकारी के लिए हमें कॉमेंट करें और हमें फॉलो करें     #इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए धन्यवाद#













रविवार, 27 जून 2021

कुरान की तिलावत हिंदी में;(Quran Tilawat in hindi)

  1. कुरान क्या है;(what is quran)
  2. कुरान किसने लिखी थी;(who wrote the quran)
  3. कुरान कैसे तिलावते जाती है;(how to read quran)
  4. कुरान का महत्व क्या है;(What is the importance of Quran)
  5. कुरान से क्या समझ मिलती है;(What is understood from the Quran)             
#आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक कुरान के बारे में जानेंगे#

कुरान की पुस्तक।                         
#1;कुरान क्या है;(what is quran)
कुरान इस्लाम धर्म की एक पवित्र पुस्तक है इस्लाम धर्म के लोगो का ये मानना है की अल्लाह की भेजी गई सबसे पहली पुस्तक कुरान है! जिसे अल्लाह के फरिश्ते आला ने इसे हज़रत मुहम्मद को सुनाया था! और मुहम्मद ने कुरान की तिलावत कर इसे पुस्तक के रूप में लिखा!
और इस्लाम धर्म के लोग ये भी मानते है की अल्लाह के द्वारा उतारी गई और देवदुत जिब्राएल द्वारा हज़रत मुहम्मद को हज़रत मुहम्मद को सुनाया गया! 
कुरान में कुल 114 सुरह, 540 रूकू, 6,666 आयते, 86,423 शब्द, 32, 376अक्षर, और 24 नबियों के बारे में जिक्र किया है  

रमजान के महीने में बहुत से मुसलमान अक्सर रोज़ा रखते है और अल्लाह को नमाज अदा करते है कुरान –ए–शरीफ को आसानी से समझने और उसके रसूलों से वाकिफ होने के लिए! मोलबियों ने अपने–अपने अलग–अलग तरीके से हदीश की विवेचना की है;

#2; कुरान किसने लिखी थी;(who wrote the Quran)

क़ुरान किसी व्यक्ति द्वारा लिखित पुस्तक नहीं है और न ही यह मुहम्मद साहब या किसी अन्य पैग़मबर के स्वयं के विचार हैं । क़ुरान ईश्वर के द्वारा हज़रत जिब्रील नामक देवदूत के माध्यम से मुहम्मद साहब के ह्रदय पर अवतरित ॠचाओं का संग्रह है। इसीलिए क़ुरान को ईश्वर के शब्द या ईश्वरीय आदेश कहा जाता है। ईश्वरीय ऋचाओं को लिपिबद्ध करने का उद्देश्य केवल इतना है कि इन ऋचाओं को न केवल संरक्षित रखा जा सके बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तान्तरित भी किया जा सके। क्योंकि क़ुरानी ऋचाएँ ईश्वरीय शब्द हैं इसलिए इस्लामी मान्यता के अनुसार यह किसी भी प्रकार के संदेह से परे हैं तथा इनका प्रत्येक शब्द सत्य है। इन ऋचाओं पर संदेह करने वाला व्यक्ति स्वतः ही इस्लाम धर्म से निष्कासित हो जाता है
जो मुस्लिम अर्थात समर्पित (= एकेश्वर को समर्पित) है उसके लिए क़ुरआन ईश्वरोक्ती (एकेश्वर का कथन) है; और इसलिए ये परमसत्य है।

#रुद्राक्ष क्या है जानें.. click here

#3;कुरान कैसे तिलावते जाती है;(how to read quran)

जिस प्रकार हिन्दू धर्म में भागवत गीता है उसी प्रकार इस्लाम धर्म में कुरान है। इस पोस्ट में दिखाए गये चित्र में “कुरान के पारे” है, जो अरबी भाषा  में लिखे गये है। आपको कुरान शरीफ की तिलावत का हिंदी अर्थ” इस पोस्ट के माध्यम से बताया गया है। कुरान शरीफ की सूरते हिंदी में और कुरान शरीफ की आयतें। विस्तार में पढ़े। 

   कुरान की तिवालते

हिंदी अर्थ : मै शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो निहायत मेहरबान, बेहद रहम करने वाला है। ➊ सब तारीफे अल्लाह के लिए है जो सारे जहां का पालने वाला है। ➋ निहायत मेहरबान बेहद रहम करने वाला है। ➌ कियामत के दिन मालिक है। ➍ हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझे ही से मदद मांगते हैं। ➎ हमें सीधी राह पर चला, ➏ उन लोगो की रह पर जिन पर तू ने इनाम किए, उनकी राह नहीं जिन पर तेरा गजब नाजिल हुआ, और उनकी जो गुमराह हो गए।
कुरान की आयते।                                                     


हिंदी अर्थ : मै शुरू करता हूं मेरे अल्लाह के नाम से जो हमेशा मेहरबान, अधिक रहम करने वाला है। अलिफ लाम मीम ➊ इस किताब में कोई शक व शुबह नहीं, अल्लाह से डरने वालों की रहनुमाई करती है। ➋ जो गैबी उमुर पर ईमान लाते हैं, और नमाज काईम करते हैं और हमने इनको जो रोजी दी है उसमें से खर्च करते हैं। ➌ और जो ईमान लाते हैं इस किताब पर जो आप पर उतारी गई और उन किताबों पर जो आप पर उतारी गई, और उन किताबों पर जो आपसे पहले उतारी गई जो आखिरत पर यकीन रखते हैं। ➍ यही लोग अपने रब की सीधी राह पर है और यही लोग कामयाब होने वाले हैं। 
कुरान की सुरते।                                                       
         
हिंदी अर्थ : ➎ बेशक जिन लोगों ने कुफ्र किया,  उनके लिए बराबर है कि आप उन्हें ( अल्लाह के आजाब से)  डराए,  या ना डराए,  वह ईमान नहीं लाएंगे। ➏ अल्लाह  तआला ने उनके दिलों पर, और उनके कानों पर मुहर लगा दी है,  और उनकी आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ है उनको बड़ा  अजाब  मिलेगा। ➐ और बअज  लोग ऐसे हैं , जो कहते हैं कि हम अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान लाए,  और हाल यह है कि वह ( दिल से)  मोमिन नहीं करते। ➑ ( यह लोग) अल्लाह को और ईमान वालों को धोखा देना चाहते हैं, ( यह लोग)  अपने आप को धोखा दे रहे हैं,  और समझ नहीं रहे हैं। ➒ इनके दिलों में निफाक की बीमारी है , तो अल्लाह तआला ने इनकी बीमारी को और बढ़ा दिया, और  इनको कियामत के दिन दर्दनाक आजाब मिलेगा,  इस  सबब से  कि झूठे ईमान  का इजहार करते थे। 
तिलावत।                                                                
हिंदी अर्थ : ➓ और जो इन कि अल्लाह की जमीन पर फसाद ना फैलाओ, तो वह कहते हैं कि असलम में हम ही तो इस्लाह करने वाले हैं। ⓫ मोमिनो ! होशियार रहो, बेशक यही लोग फसाद बरपा करने वाले हैं, लेकिन समझ नहीं रहे हैं। ⓬ और जब इनसे कहा जाता है कि ईमान लाओ ; जिस तरह लोग ईमान लाए, तो वह कहते हैं, जिस तरह बेवकूफ लोग ईमान लाते हैं क्या उसी तरह हम ईमान लाए? मोमिनो ! होशियार रहो, दर हकीकत वही लोग बेवकूफ है, लेकिन वह इस हकीकत को जान नहीं रहे हैं।⓭ और जब इमान वालों से उनकी मुलाकात होती है, तो वह कहते हैं कि हम इमान ले आए है, और जब अपने शैतानों के साथ तनहाई में होते हैं तो कहते हैं कि हम तो तुम्हारे साथ है, हम तो सिर्फ मुसलमानों का मजाक उड़ाते रहते हैं। ⓮ अल्लाह उनका मजाक उड़ा रहा है, और उनको उनकी सरकशी में बढ़ने दे रहा है , जिसमें वह भटक रहे हैं।

तिलावत।                                                               
हिंदी अर्थ : ⓯ यही तो है वह लोग जिन्होंने हिदायत देकर गुमराही खरीद ली, लेकिन इनकी तिजारत नफा बख्श ना हुई, और वह लोग हिदायत पाने वाले नहीं थे। ⓰ इनकी मिसाल उस शख्स की मिसाल है जिसने आग जलाई, जब उस आग ने इसके इर्द-गिर्द रोशनी पहला दी, तो अल्लाह ने इनका नूर छीन लिया, और इन को अंधेरे में छोड़ दिया वह कुछ नहीं देख पा रहे हैं। ⓱ वह लोग बहरे हैं, गूंगे है, अंधे हैं कभी भी ( हक की तरफ) नहीं लौटेंगे। ⓲ या इनकी मिसाल आसमान से बारिश वाले बादल की है, जिसमें जुल्मत,गरज और बिजली है, कड़क की शिद्दत की वजह से मौत के डर से अपनी उंगलियों को अपने कानों में डाल लेते हैं, और अल्लाह काफिरों को हर तरफ से घेरे हुए हैं। ⓳ करीब है कि बिजली इनकी आंखों को उचक ले, जब-जब इनके लिए रोशनी कर देती है, तो इसमें चल पड़ते हैं, और जब इन पर तारीकी छा जाती है, तो खड़े हो जाते हैं। और अगर अल्लाह चाहता तो इनके कान और इनकी आंखों को ले जाता। बेशक अल्लाह हर पर कुदरत रखने वाला है।
हिंदी अर्थ : ⓴ यह लोग को अपने उस रब की इबादत करो जिसने तुम्हें पैदा किया और उन लोगों को पैदा किया जो तुमसे पहले गुजर गए, ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ। ㉑ जिसने जमीन को तुम्हारे लिए फर्श और आसमान को छत बनाकर उसमें से पानी उतारा; जिसके जरिए रोजी की तौर पर उसने तुम्हारे लिए मुख्तलिफ किस्म के फल बनाए है। बस तुम अल्लाह को शरीक और मुकाबिल ना ठहराओ, तुम जानते हो ( कि उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता)। ㉒ और अगर तुम शक में हो इस कलाम की तरफ से जो हमने अपने बंदे पर उतारा है, तो इस जैसी एक सूरत लेकर आओ, और अल्लाह के अलावा अपने मददगार को बुला लो अगर तुम सच्चे हो।
हिंदी अर्थ : ㉓ अगर तुम ऐसा ना कर सको, और तुम हरगिज़ ऐसा ना कर सकोगे, तो डरो उस आग से जिसका इंदन आदमी और पत्थर होंगे, जो तैयार की गई है काफी रो के लिए। ㉔ और खुशखबरी दे दीजिए उन लोगों को जो ईमान लाए और अर्पण किया कि उनके लिए ऐसे जन्नते है जिनके नीचे नहरे जा रही होगी। ㉕ जब जब उन बागात में से कोई फल खाने को दिया जाएगा, तो वह कहेंगे कि यह तो वही फल है जो हमें इसके कल्ब खाने को दिया गया था, और उनको ऐसे ही रोजी दी जाएगी जो एक दूसरे से मुत्शाबह होगी, और उनके लिए उनकी पाकीजा बीवियां होंगी और वह लोग जन्नत में हमेशा के लिए रहेंगे।

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#4; कुरान का महत्व क्या है;(What is the importance of Quran)
"क़ुरआन" शब्द का पहला ज़िक्र ख़ुद क़ुरआन में ही मिलता है जहाँ इसका अर्थ है - उसने पढ़ा, या उसने उचारा। यह शब्द इसके सिरियाई समानांतर कुरियना का अर्थ लेता है जिसका अर्थ होता है ग्रंथों को पढ़ना। हँलांकि पाश्चात्य जानकार इसको सीरियाई शब्द से जोड़ते हैं, अधिकांश मुसलमानों का मानना है कि इसका मूल क़ुरा शब्द ही है। पर चाहे जो हज़रत मुहम्मद के जन्मदिन के समय ही यह एक अरबी शब्द बन गया था।

ख़ुद क़ुरआन में इस शब्द का कोई 70 बार ज़िक्र हुआ है। इसके अलावे भी क़ुरआन के कई नाम हैं। इसे अल फ़ुरक़ान (कसौटी), अल हिक्मः (बुद्धिमता), धिक्र/ज़िक्र (याद) और मशहफ़ (लिखा हुआ) जैसे नामों से भी संबोधित किया गया है। क़ुरआन में अल्लाह ने 25 अम्बिया का ज़िक्र किया है।

कुरान शब्द कुरान में लगभग 70 बार प्रकट होता है, जो विभिन्न अर्थों को मानता है। यह अरबी क्रिया क़रा (قرأ) का एक मौखिक संज्ञा (मसदर) है, जिसका अर्थ है "वह पढ़ता है"। सिरिएक समतुल्य (ܩܪܝܢܐ) क़रयाना है, जो "शास्त्र पढ़ने" या "सबक" को संदर्भित करता है। जबकि कुछ पश्चिमी विद्वान इस शब्द को सिरिएक से प्राप्त करने पर विचार करते हैं, मुस्लिम अधिकारियों के बहुमत में शब्द की उत्पत्ति क़रा ही होती है। भले ही, यह मुहम्मद के जीवनकाल में अरबी शब्द बन गया था। शब्द का एक महत्वपूर्ण अर्थ "पाठ का कार्य" है, जैसा कि प्रारंभिक कुरआनी मार्ग में दर्शाया गया है: "यह हमारे लिए इसे इकट्ठा करना और इसे पढ़ना है (क़ुरआनहू)।

अन्य छंदों में, शब्द "एक व्यक्तिगत मार्ग [मुहम्मद द्वारा सुनाई गई]" को संदर्भित करता है। इसका कई संदर्भ में कई प्रकार से अदब किया जाता है। उदाहरण के तौर पर: "जब अल-कुरान पढ़ा जाता है, तो इसे सुनें और चुप रहें।" अन्य धर्मों के ग्रन्थ जैसे तोराह और सुसमाचार के साथ वर्णित अर्थ भी ग्रहण कर सकता है।

इस शब्द में समानार्थी समानार्थी शब्द भी हैं जो पूरे कुरान में नियोजित हैं। प्रत्येक समानार्थी का अपना अलग अर्थ होता है, लेकिन इसका उपयोग कुछ संदर्भों में कुरान के साथ मिल सकता है। इस तरह के शब्दों में किताब (पुस्तक), आयह (इशारा); और सूरा (ग्रान्धिक रूप) शामिल हैं। बाद के दो शब्द भी प्रकाशन की इकाइयों को दर्शाते हैं। संदर्भों के बड़े बहुमत में, आमतौर पर एक निश्चित लेख (अल-) के साथ, शब्द को "प्रकाशन" (वही) के रूप में जाना जाता है, जिसे अंतराल पर "भेजा गया" (तंज़ील) दिया गया है। अन्य संबंधित शब्द हैं: धिक्कार (स्मरण), कुरान को एक अनुस्मारक और चेतावनी के अर्थ में संदर्भित करता है, और हिकमह (ज्ञान), कभी-कभी प्रकाशन या इसके हिस्से का जिक्र करता है।

कुरान खुद को "समझदारी" (अल-फ़ुरकान),"गाइड" (हुदा), "ज्ञान" (हिकमा), "याद" (ज़िक्र) के रूप में वर्णित करता है। और "रहस्योद्घाटन" (तंज़ील ; कुछ भेजा गया है, एक वस्तु के वंश को एक उच्च स्थान से कम जगह पर संकेत)। एक और शब्द अल-किताब (पुस्तक) है, जैसे तोराह और बाइबल के लिए अरबी भाषा में भी प्रयोग किया जाता है। मुसहफ़ ('लिखित कार्य') शब्द का प्रयोग अक्सर विशेष कुरानिक लिपियों के संदर्भ में किया जाता है लेकिन कुरान में भी पहले की किताबों की पहचान करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

#5; कुरान से क्या समझ मिलती है;(What is understood from the Quran)
कुरान ग्रंथ अरबी भाषा में लिखा हुआ है जिसके कारण अक्सर लोगो को "कुरान शरीफ की तिलावत, कुरान शरीफ की आयते और कुरान शरीफ की सूरते" का हिंदी अर्थ से अंजान है. आपकी जानकारी के लिए बता दे
कुरान में बताये गये अरबी भाषा का hindi अर्थ  
सूरत का मतलब (एक लाइन में लिखा गया) वाक्य होता है।
आयतें का मतलब (एक अनुच्छेद)  होता है। 
तिलावत का अर्थ( पढना) होता है। 
ईमान का मतलब (भरोसा)कहलाता है।
कुरान ग्रन्थ यह मुस्लिम और अन्य लोगो पढ़ सकते है. परंतु इसके लिए अरबी भाषा की जानकारी होना जरुरी है. इस "कुरान–ए–शरीफ" की किताब से इंसान तथा मानवता की भलाई की सिख मिलती है जिसे पढकर जीवन को सही ढंग से जिने का मार्ग मिलता है।

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शुक्रवार, 25 जून 2021

रुद्राक्ष क्या है; What is rudraksha

रुद्राक्ष क्या है ;what is rudraksha
  1. रूद्राक्ष क्या है; (what is rudraksha)
  2. रूद्राक्ष शब्द की उत्पति; (Origin ofthe Rudraksha, 
  3. रूद्राक्ष का आकार ;(shape of rudraksha)
  4. रूद्राक्ष का महत्व;(importance of rudraksha)
  5. रूद्राक्ष पहनने के फायदे;(Benefits of wearing Rudraksha)

#1; रुद्राक्ष क्या है;(what is rudraksha)

रुद्राक्ष का अर्थ है रूद्र का अक्ष माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है. 

रूद्राक्ष;रूद्राक्ष पेड़ के फल कि गुठली से प्राप्त होता है जिसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है एसा माना जाता है की रुद्राक्ष की उत्पति भगवान शिव शंकर की आंखों के जल बिंदु से हुई है रुद्राक्ष को धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है एसा मानना है की रुद्राक्ष भगवान शिव का वरदान है जो संसार के भौतिक दुखों को दूर करने के लिए भगवान शंकर ने प्रकट किया!

रुद्राक्ष का पेड़।                
             

रुद्राक्ष एक प्रकार का बीज है (Rudraksha is a type of seed) यह परंपरागत रूप से हिंदू धर्म में प्राार्थना के समय माला के रूप में प्रयोग में लाया जाता है   
 रुद्राक्ष(हिंदू धर्म के देवता)भगवान शिव से जुड़ा हुआ है और और जादतर यह रुद्राक्ष माला के रूप में भगवान शिव का जाप(ॐ नमः शिवाय) करते समय उपयोग में लाई जाती है
ये बीज मुख्य रूप से भारत और नेपाल में आभूषणों और मालाओं के रूप उपयोग किया जाता है 

#2; रुद्राक्ष शब्द की उत्पत्ति;(origin of the rudraksha)
रुद्राक्ष शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द रुद्र(भगवान रुद्र या भगवान शिव) और अक्सा(अंशु की बूंदे) से हुई!
रुद्राक्ष भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है भगवान शिव के अनेकों  नाम है हर जगह भगवान शिव के अलग² नामों से जाना जाता है 
रुद्राक्ष कई प्रकार के होते है 
1- एक मुखी  यह साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है.
    सिंह राशी वालों के लिए यह अत्यंत शुभ होता है.
    जिनकी कुंडली में सूर्य से सम्बंधित समस्या हो ऐसे लोगों          को एक मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए.

2- दो मुखी- यह अर्धनारीश्वर स्वरुप माना जाता है.
    कर्क राशी के जातकों को यह अत्यंत उत्तम परिणाम देता है      अगर वैवाहिक जीवन में समस्या हो या चन्द्रमा कमजोर दो      मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी होता है

3- तीन मुखी- यह रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरुप होता है.
    मेष राशी और वृश्चिक राशी के लोगों के लिए यह उत्तम            परिणाम देता है.मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष      का प्रयोग किया जाता है.

4- चार मुखी- यह रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरुप माना जाता है मिथुन और कन्या राशी के लिए सर्वोत्तम. त्वचा के रोगों और वाणी     की समस्या में इसका विशेष लाभ होता है.

5- पांच मुखी- इसको कालाग्नि भी कहा जाता है,इसको धारण      करने से मंत्र शक्ति तथा अदभुत ज्ञान प्राप्त होता है.जिनकी      राशी धनु या मीन हो या जिनको शिक्षा में लगातार बाधाएँ        आ रही हों ,ऐसे लोगों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना          चाहिए.


#3;रूद्राक्ष का आकार;(shape of rudraksha)
रुद्राक्ष का आकार हमेशा मिलीमीटर में मापा जाता है रुद्राक्ष रुद्राक्ष एक मटर के बीज से बड़े और अखरोट के आकार तक होते है रुद्राक्ष के ऊपरी सतह पर ॐ और भगवान शिव के त्रिशूल के निशान होते है 

त्रिशूल

#4; रुद्राक्ष का महत्व;(importance of rudraksha)
भारत और नेपाल में रुद्राक्ष में माला पहनने की बहुत पुरानी परंपरा है! और विशेष रुप से वो लोग रुद्राक्ष पहनते है जो लोग भगवान शिव की पूजा करते है! क्योंकि भगवान शिव खुद रुद्राक्षो से बनी माला पहनते थे! इसी लिए रुद्राक्ष को भगवान शिव का वरदान  मानते है और इस रुद्राक्ष माला को पहन कर भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप किया जाता है और महिलाओं को रुद्राक्ष पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन महिलाओं के लिए मोती से बने आभूषणों को पहनना आम बात है रुद्राक्ष से बनी माला को केवल स्नान करते समय उतार देना चाहिए! क्योंकि स्नान करते समय रुद्राक्ष पानी में भीगने के कारण रुद्राक्ष बीज के हाईट्रेड कर सकता है! 


#5;रुद्रराक्ष के पहनने के फायदे;(Benefits of wearing Rudraksha)

रुद्राक्ष की माला धारण करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह पहनने वाले के चारों ओर एक विशेष प्रकार का सुरक्षा चक्र बना देती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक शोध के बाद पाया कि रुद्राक्ष की माला पहनने से व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का एक आभामंडल बन जाता है, जिससे व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे उसके शरीर मे कुछ ऐसे रसायनों का उत्सर्जन होता है जिससे उसमें सुरक्षा की भावना पैदा होती है। 


अधिकांश लोग यह मानते हैं कि भगवान शिव का संबंध दूर-दूर तक लक्ष्मी से नहीं है। शिव वैराग्य के देवता हैं, लेकिन यह बात पूरी तरह सही नहीं है। रुद्राक्ष की माला के जरिए भगवान शिव से लक्ष्मी की प्राप्ति की जा सकती है। 108 रुद्राक्ष की माला को यदि स्वर्ण की कैप में जड़वाकर पहना जाए और साथ में प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया जाए तो अचूक लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

भूत-प्रेत, बुरी शक्तियां, जादू-टोना, तंत्र क्रियाओं से बचाने में रूद्राक्ष के समान कोई अन्य वस्तु नहीं। आपके अधिकांश तांत्रिकों के हाथ या गले में रूद्राक्ष अवश्य देखा होता। दरअसल वे जो साधना, सिद्धियां करते हैं, उनमें उन्हें जान का खतरा भी होता है। रूद्राक्ष धारण कर लेने से बुरी शक्तियां उन्हें हानि नहीं पहुंचा पाती। यदि आपका भी कोई ऐसा काम हो जिसमें आपको रात-बेरात यहां वहां आना-जाना हो तो रूद्राक्ष जरूर धारण करें।

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